Raghuram Rajan and Rahul Gandhi Interview




मैंने दोनों की पूरी बातचीत देखी और बहुत सारी चीजें ऑब्जर्व भी करी। मेरा इरादा राहुल गांधी या डॉक्टर राजन को क्रिटिसाइज या गलत दिखाने का नहीं है, बस मैंने इस बातचीत में जो ऑब्जर्व किया उसे शेयर करना चाहूंगा।
अस्वीकरण: ऑब्जर्वेशन मेरे हैं,और बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं कि आपने भी यही ऑब्जर्व किया हो,या आप मेरे आब्जर्वेशन से सहमत हों।
मेरे आब्जर्वेशन कुछ इस प्रकार हैं:
  • प्रथम दृष्टया, ये पूरी बातचीत राहुल गांधी की छवि में सुधार का एक प्रयास मात्र लगती है ।
  • दूसरी चीज ,राहुल जी निश्चित तौर पर नेता से थोड़े से बेहतर एंकर हैं।मेरे थोड़े से का मतलब थोड़ा ही है ,ये ध्यान रखिएगा।
  • पूरी बात चीत देख के लगता है कि दोनों को पहले से प्रश्न पता थे,और ये तय था कि राहुल कौन से सवाल पूछेंगे,और डॉक्टर राजन को काउंटर क्वेश्चन में क्या प्रश्न पूछने हैं।
  • डॉक्टर राजन भारत के बारे में काफी कंसर्नेड हैं ,और वो इंडिया पर अपनी रिसर्च और स्ट्रेटजी बनाते रहते हैं। आपने देखा होगा कि जैसे ही उनसे राहुल ने सवाल पूछा कि भारत की अर्थव्यवस्था में कितना पैसा डालने की जरूरत है लॉक डाउन का प्रभाव कम करने के लिए , तो उन्होने कुछ माइक्रो सेकेंड में ही जवाब दिया कि 65,000 करोड़ लगेंगे। आप इसका मतलब बिल्कुल ग़लत ना समझे, मुझे पूरी तरह से ज्ञात है कि डॉक्टर राजन बड़े अर्थशास्त्री हैं और ये प्रश्न उनके लिए बहुत ही साधारण था।
  • राहुल गांधी पहले से ही कुछ याद कर के आए थे और वो उन्हें कहीं चेपना था। इसीलिए जब राजन साहब ने पूछा कि आपके विचार में वेस्ट की कोरॉना से निपटने की रणनीति और भारत की रणनीति में क्या फर्क है ,तो राहुल गांधी सामाजिक असमानता और असमानता की प्रकृति के बारे में ज्ञान देने लगे। राहुल ने कहा कि जाति जैसी चीजें और भारतीय सामाजिक संरचना अमेरिका से अलग है।मतलब उत्तर प्रदेश से लेकर तमिलनाडु तक बंदे ने पता नहीं क्या क्या बता डाला। हालांकि लास्ट की लाइन में उत्तर भी दिया और कहा कि जिस तरह से भारत अमीरों और गरीबों को ट्रीट कर रहा कोविड़ के दौरान वो वेस्ट से अलग है।[1]
मतलब कुछ बहुत ही आउट ऑफ द बॉक्स आइडिया नहीं दिखे मुझे दोनों की बातचीत में । मुझे उम्मीद थी कि डॉक्टर राजन कुछ ऐसा बताएंगे इस बातचीत में जिसे हमारी सरकार भी सुनेगी (भले ही वो सामने से कहे कि रघुराम राजन बकवास कर रहे हैं)। ये बातचीत की गई ये एक बहुत अच्छी बात है, लेकिन बातचीत का कॉन्टेंट निराशा जनक और घिसा पिटा है। पंचायती राज, भारतीय सामाजिक संरचना और जातीय व्यवस्था के बारे में कभी और बात हो सकती थी। इस बातचीत में हम और आप इस महामारी से होने वाले आर्थिक दुष्परिणाम और उनको रोकने के कारगर उपाय जानना चाहते थे ,लेकिन इसमें मिला वही घिसा पिटा और पुराना माल। कॉन्टेंट में दम नहीं था क्योंकि जैसा मैंने अपने आब्जर्वेशन में बताया कांग्रेस पार्टी का इरादा ही कुछ और था ।
लेकिन कम से कम खाली बैठने से तो ठीक ही है कि राहुल कुछ कर रहे हैं। बाकी उनके बीजेपी और कांग्रेस के मित्र तो कुछ भी नहीं कर रहे फेसबुक और ट्विटर चलाने के अलावा।
अंत में यही कहूंगा कि राहुल जी की पहल काबिले तारीफ है लेकिन उन्हें नेक्स्ट टाइम कुछ गंभीर और नवीन बात करनी चाहिए।
पढ़ने के लिए धन्यवाद।
This is the post of Diwakar Mishr from Quora
सोर्स: Quora